माँ बोली
28 जून 2020
जब चलना सीखा
फ़र्श पे हिन्दी के अक्षर बिखरे थे
पग पग चली
सम्भलने को उँगली
पकड़ी थी
माँ बोली पंजाबी की
ज़िन्दगी की पगडंडियों
पर अहसास हुआ
की कदमों ने जब
धरती पकड़ ली है
तो उंगली की पकड़
ढीली पड़ गई है
मैंने एक उंगली छोड़
हाथ ही थाम लिया
माँ का,
जिस में अब कलम है
और में लिख रही हूँ
पैरों की ज़मीन के बारे में
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